ईश्वरीय अस्तित्व

*ईश्वर की सत्ता है*
*हमें ईश्वर को मनाना ही चाहिए*

 स्टीफन हाकिंग (ब्रह्मांड वैज्ञानिक) का मानना था -  "सृष्टि रचना में ईश्वर का कोई योगदान नही है, ईश्वर काल्पनिक है"
आइए उक्त बात की समीक्षा करें --
कारण के बिना कार्य नही होता!!
गति के नियमानुसार परमाणु/कण तब तक गति नही करते जब तक कोई बाहृय बल उस पर कार्य न करे,
सृष्टि बनने से पूर्व परमाणुओं में स्वतः गति कैसे हुई??

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जहाँ बुद्धि पूर्वक की गई रचना है, वहां रचने वाला क्यों न माना जावे ??
घड़ा भी स्वतः नही बनता, जब तक कोई बुद्धि पूर्वक उसे नही बनावे, चाहे मिट्टी विधमान हो!
फिर ये व्यवस्था में चलने वाली सृष्टि बिना किसी बुद्धिमान के कैसे बनी?

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आधुनिक विज्ञान के अनुसार सूर्य-पृथ्वी की दूरी, आकार व द्रव्यमान बहुत नाप तोल कर रखा गया है? इसे हेबिटेबल जोन कहते है!
यदि सूर्य के अधिक निकट होती तो जल जाती, दूर होती तो जम जाती, अधिक बड़ी होती तो दूरी बढ़ानी पड़ती, छोटी होती तो कम करनी पड़ती आदि, ये बुद्धि किसकी है ? क्या जड़(बुद्धि रहित) पृथ्वी व सूर्य ने स्वयं तय कर लिया में इस आकार की बन जाती हूँ, ओर इतनी दूरी पर स्थित हो कर इस दिशा में इतनी गति से घूम लेती हूं??
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धरती का एक चन्द्रमा है, इसकी दूरी,आकार व द्रव्यमान भी सटीक रखा है, ओर एक ही क्यों ?, कोई भी न होता तो ऋतुएं न होती, अनेको कारक न होते, फिर धरती स्टेबल भी न होती, जीवोत्पत्ति लायक न होती,
एक से अधिक होते तो ऋतुएं गड़बड़ा जाती, आकर्षण बल से सदेव ज्वार भाटे तूफान आते, फिर धरती स्टेबल भी न होती, जीवोत्पत्ति लायक न होती, ये बुद्धि किसकी थी ??

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धरती का आकार व द्रव्यमान बहुत ही सोच समझ कर रखा गया है ताकि गुरुत्वाकर्षण बिल्कुल सटीक रहे- ना कम कि धरती पर टिक ही ना पाए, एक कदम चलने पर काफी ऊपर उड़े फिर नीचे आएं, ना अधिक कि पावँ जम ही जाए तो हड्डियां टूट जाएं. यह पैरामीटर्स किसने तय किये ??
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वायु का घनत्व व दवाब भी इतना सटीक की छोटे से छोटा जीव व बड़े से बड़े जीव जी सकें, श्वास ले सकें।
वायु में गैसों का मिश्रण का अनुपात भी बड़ा तोल कर रखा गया है, ये बिगड़ा नही कि धरती और जीवन खतरे में पड़ सकता है!

चुम्बकीय क्षेत्र, ओजोन परत जो सूर्य की किरणों को फ़िल्टर करती है. ये सब एक्सीडेंटल बना हो ही नही सकता !!

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रचना को देखके रचनाकार का, सृष्टि को देख के सृष्टा का, नियम को देख के नियंता का एवं व्यवस्था को देख कर व्यवस्थापक का अस्तित्व क्यों न माना जावे ??

कभी सुना है रचना तो हुई है, पर किसी ने नही की?
कभी सुना है नियम है, पर किसी ने बनाया नही?
कभी सुना है व्यवस्था तो है, पर कोई व्यवस्थापक नही ?
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हाइड्रोजन गेस के 2 व ऑक्सीजन गेस का 1 परमाणु मिल के H2O  जल बनता है, ओर H2O2 मिल के हाइड्रोजन पराक्साइड!
ये किसकी बुद्धि थी कि H2O में एक ओर O को जुड़ने से रोका! अन्यथा समुद्रों जलाशयों नदियों में H2O2 भरा होता! आधुनिक विज्ञान के अनुसार जल जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है!

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सृष्टि के हर कार्य मे व्यवस्था है, मनुष्य से मनुष्य, कुत्ते से कुत्ता, बिल्ली से बिल्ली, बन्दर से बन्दर, गेंहू के बीज से गेहूं, बाजरे से बाजरा आदि उत्पन्न होता है, आज तक किसी व्यवस्था का अतिक्रमण नही हुआ, ये व्यवस्था किसकी है ?

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धरती की आबादी 700 अरब है सभी अपने घरों से बाहर निकले, हाथ मे गेंद लेवें ओर ऊपर उछालें!! सारी की सारी गेंदे अवश्य नीचे आएंगी! एक भी अपवाद नही मिलेगा ! ये अटल नियम बिना किसी नियंता के बनना असम्भव है

धरती व ब्रह्मांड में सेकड़ो भौतिकी के नियम कार्य कर रहे है, जिन्हें मनुष्य खोजता है, न कि बनाता है, ये किसने बनाये ??

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जिस प्रकार कोई भी वस्तु, उपकरण का अपने आप बनना असम्भव है, उसको बनाने वाले किसी चेतन बुद्धिमान की आवश्यकता अपेक्षित है, उसी प्रकार मनुष्य जीवजन्तु पशु पक्षी के शरीर रूपी उपकरण बहुत बुद्धिपूर्वक बनाये गए है, ऐसा विज्ञान का कहना है, ये बुद्धि किसकी है?
आज हजारों वैज्ञानिक उन्नति हेतु संलग्न है, किन्तु कत्रिम रक्त नही बन सका, हमारे शरीर मे ये बड़ी आसानी से मिंटो में बन जाता है, ये व्यवस्था किसकी बनाई है?
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मनुष्य की आंखे देखकर कैमरा विकसित हुआ, कान देखकर माइक्रोफोन, मुँह देख कर स्पीकर, नाक व चमड़ी का स्पर्श गुण देखकर विभिन्न प्रकार के सेंसर!
क्या कोई कह सकता है उक्त डिवाइस/उपकरण बिना किसी बुद्धिमान वैज्ञानिक के बनाये स्वतः बन गए ?
यदि नही, तो मनुष्य जीवादि शरीर अपने आप बना कैसे मानते हो??

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जिन्हें हम अत्यंत तुच्छ समझते है, वे मनुष्य के नाक के बाल भी वायु को फिल्टर कर फेफड़ो में पहुँचाने व अनावश्यक कणों को रोकने का कार्य करते है (ये केवल एक उदाहरण दिया है) ,, ये बुद्धि किसकी थी ??

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ईश्वर को केवल इसलिये नकार दें कि वह दिखाई नही देता, तो महाशय, परमाणु, इलेक्ट्रान, प्रोटोन, न्यूट्रॉन किसने देखे ? गुरुत्वाकर्षण बल, हवा आदि सैकड़ों तत्व है जो नही दिखते !!
आधुनिक विज्ञान सबसे अधिक उन्ही तत्वों पर निर्भर है जो नही दिखते !!
ओर फिर सुख दुख भूख प्यास आदि अनुभूतियां नही दिखती, इस पर भी कोई उन्हें नही झुठलाता!

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जानवरो (बन्दर आदि) ओर मनुष्य में 3 मुख्य अंतर है :- ज्ञान-बुद्धि, वाणी व उत्तम शरीर रचना! कहिये बन्दरो में ये कैसे विकसित हुई ?? ज्ञान नैमित्तिक गुण है स्वाभाविक नही, मनुष्य के बच्चे को कोई ज्ञान न देवे तो स्वतः ज्ञान होना असंभव!!! है, फिर बन्दर का मनुष्य बन, अपने आप बुद्धिमान हो जाना, ऐसा मानना, बुद्धि की बात है या मूर्खता की ?

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कोई मां अपने बच्चे को कुछ भी न सिखावे, न बोले, न बच्चा किसी प्रकार का शब्द सुने, केवल मां उसे जीवित रखने के लिए जो आवश्यक है वही करे - दूध पिलाना, नहलाना, देखभाल करना बस
तो वह बच्चा बोलना तक नही सिख सकता, विद्वान बनना तो दूर !! इससे सिद्ध है ज्ञान नैमित्तिक गुण है!
बन्दर ज्ञानी कैसे हुए ? और फिर आज क्या पेड़ो पर कूदने वाले बन्दर नही है ??

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मनुष्य के बच्चे को बचपन से कोई भेड़िया पाले, तो वह व्यवहार आदि में भेड़िये जैसा ही बन जायेगा !

ज्ञान जब तक नही दिया जावे तब तक हो ही नही सकता !!
 जो कहो कि प्रकृति, वस्तुएं आदि देख देख कर ज्ञानी बन गए तो ये झूठ है, आज भी धरती पर लाखों जंगली प्रजातियां है, है तो मनुष्य, किन्तु ज्ञान दिए बिना मूर्ख ही रहते है।

तथाकथित महान वैज्ञानिक उक्त साधारण सी बातें न समझ पाए! अत्यंत आश्चर्य है, जबकि आइंस्टाइन जैसे वैज्ञानिक ने कहा था मैं सृष्टि, ब्रह्मांड आदि को जितनी गहराई से जानता जाता हूँ उतना ही मुझे किसी बुद्धिमान, शक्तिशाली व्यवस्थापक के होने का विश्वास, दृढ़ होता जाता है !

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