आरती

आरती का महत्व
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बरलिन यूनिवर्सिटी में सन 1928

में घंटे और शंख

 की ध्वनि के संबंध में शोध हुआ था । पाया गया कि प्रति सेकंड 27 घंनफुट वायु शक्ति के जोर  से बजाया हुआ घंटा 12०० फुट दूरी तक के जीवाणुओं को मारने में सक्षम है ! इसी तरह घंटी और शंख से निकली ध्वनि कई तरह के संक्रामक  कीटो और जीवाणुओं को नाश कर देती है । पूजा के पश्चात जो कमी रह जाती है , उसके प्रति पूर्ति के लिए आरती करने का परंपरा है । ऐसा माना जाता है कि आरती करने से ही नहीं अपितु आरती देखने मात्र से भी  बहुत पुण्य मिल जाता है ।संगीत मय आरती जन समुदाय को प्रसन्न कर देती है । संगीत से मन में सुकून आ जाता है ।स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है।  ।घंटानाद से कई शारीरिक कष्ट दूर होते हैं और  मानसिक ऊर्जा मिलती है  । कपूर की आरती करने पर 4.8 मीटर औरा शक्ति होती है , जो हमें सुरक्षा प्रदान करते हैं ।उस क्षेत्र के नकारात्मक ऊर्जा को हटा देती है।और धनात्मक ऊर्जा फैलजाती है  ।
आरती करने के कई विधा हैं , परंतु सामान्य तौर पर किसी भी देवी अथवा देवता की मूर्ति  को , चरणों में चार बार ,नाभि मंडल में दो बार ,मुखमंडल पर एक बार तथा समस्त मूर्ति शरीर में 7 बार आरती घुमाई जाती है ।

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