दिव्य लिँग

ःऊंंं यही किन्नर कैलाश पर स्थित प्राकृतिक शिवलिंग है। ऊंचाई 70 फीट के लगभग अति वचित्र समुद्र तल से लगभग 18000 फीट से ऊपर किन्नर कैलाश पर्वत पर रहस्यमय ना जाने कव से आदि काल से प्रतिष्ठित है। अति उत्साही उर्जा वान साहसी भक्त ही यहां तक पहुंच पाते हैं वो भी सालभर में केवल लगभग 15 ही दिनों के लिये। पार्वती कुंड आदि को आज तक कोई छू नहीं पाया है।
ये अति दर्शनिय रहस्यमयी रोमांचित सा करने वाला शिव लिंग साफ मौसम में दूर से देखने पर विभिन्न रंग वदलता है। लाल सफेद नीला भूरा काला सभी रंग।सृष्टी प्रकृति की अद्भुत छटा का नजारा। मानव की पहुंच से दूर।
ये श्रद्धा आस्था विस्वास ही है कि सेना का कोई भी हैलिकाप्टर या वायुयान इसके ऊपर से नहीं निकलता।
ना जाने क्यों मौसम खराव होने पर जव ये नहीं दिखाई देता। मन वेचैन सा हो जाता है। ये रहस्यमयी शिव शक्ति की शायद कृपा ही तो है ।जो आंतरिक तन मन दिल दिमाग को स्पंदित सी करती है।
कुछ जानने करने को प्रेरित सी करती है। सच ही ये सात्विक उर्जा ही तो है जो आप में प्राण वन वह रही है। यही शिव है शक्ति है ।आपका वजूद इसके विना है ही नहीं। नास्तिक आस्तिक निराकार साकार रूप स्वरुप चेतन परम चेतन अणु परमअणु ईश्वर परमेशवर सव सात्विक उर्जा ही तो है ।जो पिंड वराहमंड वायु अग्नि जल आकाश पृथ्वी सव जगह निरंतर अनुशासित व्यवस्थित वह रही है।
यही शुद्ध उर्जा सुख शांति आनंद परम आनंद भी है। दुख निराशा लाचारी विमारी हमारी अज्ञानता ही तो है। प्रकृति से दूरी ही ईश्वर से दूरी है। सृष्टी शिव ही है। सृष्टी में प्रवाहित उर्जा शक्ति ही तो है।
योग ध्यान साधना आपको आन्तरिक शक्ती से भरपूर कर देते हैँ। उर्जावान कर देते हैं।
आस्था श्रद्धा और विश्वास है तो जो दिख रहा है ये ईश्वर ही तो है ।वोलना सुनना और है क्या।
यहीं तो सव है। वस हम ही नहीं देख पा रहे हैं।
ईश्वर सव को सही राह डाले। ऊ ःऊं ःऊं नमो शिवाय
सव सुखी हों। निरोगी हों। यही तो कामना जव आप में पैदा होगी। सच ही अपने मानव होने का कुछ हमें अहशास होगा। और यहीं स्वर्ग होगा। मोक्ष हैगा। ऊ ही ऊ ःःःःःः

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